Kahani in Hindi का पहला पोस्ट जो मेरी जुबानी और ये मेरी सोच है। इस धरती पे जब से हमने जीवन जीना सुरु किया। तबसे हमने दुःख और सुख दोनों तरह के माहौल को देखने को मिला।
लेकिन जब इंसान खुश होता है तब तो जीवन जीना आसान लगता है।
लेकिन जब दुखी होता है तो अपने जीवन को खुशिरुप बनाने की कोशिश करता है। जीवन को हंशी ख़ुशी आगे बढ़ाना भी एक कला है।
जो इस कला को समझ गया उसने अपने जीवन को जीना सिख लिया। इस संसार में कोई भी जिव जंतु ही क्यों न हो वो अपने जीवन जीने की कला को भली भाती जनता है।
इन्ही सब की वजह से उसकी प्रेमिका दुखी रहती थी। और उसने एक दिन सोचा की क्यों न वो अपनी आँखे देके उसे एक नया जीवन दे सके। और वो भी दुनिया देख सके।
अगर आँखे देने के बाद अगर वो सही हो गया तो वो उससे शादी कर लेगी।
Kahani in Hindi के इस संस्करण में कुछ ऐसी कहानियां बताने जा रहा हूँ। जो आपके जीवन को एक नया जीने की कला सीखा सकती है।
अगर ऐसी स्टोरी को अच्छे से अमल किया जाये तो जीवन को बहुत ही सरल तरीके से जिया जा सकता है। ऐसी ही motivational स्टोरी बताने जा रहा हूँ। जिससे कुछ अच्छी सिख मिल सकती है।
1. अंधे लड़के की मोटिवेशनल Kahani in Hindi
ये कहानी एक अंधे लड़के की है जिसे अपने अँधा होने पे उसे खुद से नफरत हो गया था। उसे बहुत दुःख था की अँधा होने के वजह से वो दुनिया के खूबसूरती को नहीं देख सकता।
एक दिन उसने निश्चय करके उसने अपनी आँखे उसे दान कर दी। अब वो लड़का आँखें लगने के बाद दुनिया देख सकता था। लेकिन उसकी प्रेमिका आँखे देने के बाद अंधी हो गयी।
झूठी सोच की इमोशनल kahani in Hindi
लड़की पूरी तरह से अंधी हो चुकी थी क्योकि उसने अपनी आँखे उस अंधे प्रेमि को दे चूका था। कुछ दिनों बाद वो उस लड़के को शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन लड़के ने ये कहकर साफ इंकार कर दिया। की वो तो अंधी है आखिर अंधी लड़की से कैसे शादी कर सकता है जिसे कुछ भी दिखाई नहीं देता। उसे शादी करके अपनी बची जिंदगी क्यों ख़राब करना।
ये सब बाते सुनकर वो काफी इमोशनल हो गयी और रोने लगी। और तब समझ में आया की सबकी सोच एक जैसी नहीं होती।
अब उस लड़की को पसताने के सिवा कुछ नहीं कर सकती थी। सब कुछ खतम हो चूका था उसकी जिंदगी एक उजाले से अँधेरे में बदल चुकी थी।
इस कहानी से सिख in Hindi
लोग अक्सर दुःख के समय दूसरों लोगो के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। जैसे जैसे लोगो की परिस्थितियां चेंज होती जाती हैं। वैसे ही लोगो के सोच में भी बदलाव होते जाता है।
लेकिन ऐसा कदापि नहीं होता की हम दूसरे के प्रति अच्छी सोच रखते हैं। तो वो भी आपके प्रति भी वैसी ही सोच रखे।
2. दो दोस्तों की Kahani in Hindi
ये स्टोरी है ऐसे दो दोस्तों की जो एक दूसरे से काफी सहानिभूति रखते थे। दोनों दोस्तों ने एक साथ ही इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई साथ में पूरी की लेकिन उसके बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए।
अलग होने से पहले दोनों ने एक प्रण लिया की देखते हैं सबसे पहले कौन सबसे प्रभावशाली बनता है।
एक का नाम था रमेश और दूसरे का नाम था सुरेश। रमेश सुरेश से पढ़ाई में काफी तेज था। सुरेश थोड़ा कमजोर था लेकिन लोगो के प्रति उसका काफी रुझान रहता था।
लोगों की की मदद करनेवाली सोच थी।
रमेश पढ़ाई पूरी करने के बाद एक बहुत बड़ी कंपनी में मैनेजर पोस्ट पे नौकरी लग गयी। सुरेश का रुझान जन सेवा में लग गया। सुरेश अपनी ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद समाज सेवा में लग गया।
सुरेश ने जनसेवा के माध्यम से लोगो के दिल में अपनी जगह बना ली। लोग उसे काफी पसंद करने लगे।
आगे जाके वो प्रदेश का मुख्यमंत्री बन गया। उसने समाज सेवा करने के उपरांत अपने नाम को सुरेश की जगह सेवार्थ कर दिया। रमेश भी अपने टैलेंट के दम पर CEO के पद पे आश्रित हो गया।
अब समय आ गया था मिलने का। सुरेश जो सेवार्थ के नाम से प्रसिद्ध हो गया था। उसने रमेश को एक टीवी इंटरव्यू प्रोग्राम में देखा और उसको फिर कांटेक्ट किया हालचाल लेने के लिए।
इंसान की सोच से उसका आनेवाला कल पे भी निर्भर करता है
जब सेवार्थ ने रमेश को कॉल किया तो उससे डायरेक्ट बात नहीं हो पायी। और उसके PO ने फ़ोन उठाया और बोला साहब बहुत बिजी हैं।
कईबार कॉल किया लेकिन हमेसा बिजी कह के कॉल कट कर देता था। तब एक दिन रमेश से फाइनली बात हो गयी। तब सेवार्थ ने अपना परिचय देते हुए पुराना नाम ही बताया।
फिर उसने कहा की कई बार बात करने की कोसिस की। लेकिन हार्बर ये कहके तुहरे PO ने फ़ोन काट देता था की आप बिजी हो। तब रमेश बोलता है की सही बात है वो काफी बिजी रहता है।
और बोलता है सुरेश को की मई तो तुम्हारे जैसा खली नहीं रहता न काफी काम का बोझ रहता है लोगो को। और काम को नजदीकी से मॉनिटर करना पड़ता है। कंपनी के CEO होने के वजह से
रेस्पॉन्सिबिलिटीज़ भी काफी ज्यादा होती है।
सुरेश उसकी बाटे सुनते रहा। रमेश ने सुरेश के बारे में कुछ ना पूछकर उसको बोलते रहा की तुम्हारा ही ठीक होगा। जो किसी कंपनी या घर पे रहके ज्यादा टेंशन नहीं लेना पड़ता होगा।
तब सुरेश ने बोला की काफी दिन हो गयी थोड़ा मिल लेते हैं। तब रमेश बोला प्रॉमिस यद् है की नहीं रमेश ने बोलै हाँ जरूर याद है। तब दोनों ने ये कह के फ़ोन डिसकनेक्ट कर दिए की बाकि बातें
मिलने के बाद करेंगे।
घमंड इंसान को छोटा बना देता है Kahani in Hindi
रमेश काफी खुश था की वो तो बजी जित गया है। आखिर इतना बड़ा आदमी बन गया है। रमेश मन ही मन सोचता रहता है। की सुरेश अगर कोई जॉब भी करता होगा तो किसी छोटे मोटे कंपनी में
काम करता होगा। रमेश एक रेस्टारेंट में बुलाया रहता है। रमेश अपने ४ लक्ज़री कारों के साथ रेस्टारेंट में पहुंच जाता है।
आसपास उसके गार्ड लोग रहते हैं। सुरेश अपनी बड़ी मूंछो और दाढ़ियों को बनवा लेता है और थोड़ा अपने पहलेवाले लुक में आ जाता है जैसे रमेश ने देखा था। सुरेश भी एक ऑटो से रेस्टारेंट में
बिना विप गार्ड के पहुंच जाता है। रमेश उसे ऑटो से उतरते देख उसकी सोच और भी मजबूत हो जाती है।
रमेश और सुरेश लगते हैं और एक दूसरे को देखते हैं फिर कुछ हल्का भोजन करते हैं। भोजन करने के बाद एक दूसरे का हालचाल लेते हैं। तब रमेश अपने जॉब और पोस्ट के बारे में बताता है
और सुरेश भी उसकी खूब तारीफ करता है। तब रमेश सुरेश के काम के बारे में पूछता है की की तुम क्या कर रहे हो। सुरेश मुस्कुरा कर बोलता है समाज सेवा। तब बोलता है समाज सेवा से क्या
मिलता है।
कल के बारे में अच्छा सोचना है तो अभी से सोचना सुरु कर दें
उससे थोड़ी घर चलनेवाला है या फॅमिली सर्वाइव करनेवाली है। सुरेश बोलता है की उसे पुरे प्रदेश के लोगो की सेवा करने का मौका मिला है। और वो बहुत खुश है उसी में। तब रमेश मई समझा
नहीं प्रदेश के लोगो की सेवा का क्या मतलब है। तू प्रदेश में घूम घूम के लोगो की सेवा कर रहा है क्या। तब सुरेश बोलता है की वो प्रदेश का मुख्यमंत्री रहके लोगो की सेवा कर रहा है।
तब रमेश बोलता है तू और प्रदेश का मुख्यमंत्री और हसने लगता है। तब वो बोलता है की वो सेवार्थ सुरेश नाम से लोगो के बिच प्रचलित है और। उसकी बड़ी बड़ी दाड़ियाँ और मोंचे थी जिसे वो
आने से पहले सेव करके आया जिससे उसे पहचाने में दिक्कत न हो।
तभी कई विप गार्ड और और कमांडो आसपास आके खड़े हो जाते। और उनका सलाहकार भी आ जाता है। और बोलता है कुछ जरुरी काम आ गया है प्राइम मिनिस्टर साहब की मीटिंग भी
अटेंड करनी है। ये सब दृश्य रमेश देखकर निशब्द हो जाता है। और उसे समझ नहीं आता की वो क्या बोले।
फिर रमेश को बोलना पड़ता है की मुख्यमंत्री साहब जाईये आपका काम बहुत जरुरी है। और फिर कभी वो अपॉइंटमेंट लेके मिल लेगा। रमेश को फिर एहसास हो जाता है। की सामनेवाले को कभी भी छोटा नहीं समझना चाहिए। जब तक पूरी तरह से उसके बारे में न जान जाये तब तक कुछ भी रिजल्ट पे नहीं जाना चाहिए।
इस कहानी से सिख in Hindi
कहानी से यही सिख मिलती है की कभी भी किसी भी निस्कर्स पे तुरंत नहीं निकल लेना चाहिए। जब तक उसके बारे में पूरी तरह न जान ले। और कभी किसी भी इंसान को छोटा नहीं समझाना चाहिए क्योकि इंसान अपने कर्मो से ही बड़ा और छोटा बनता है।
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