ये कहानी है एक Biscuit बेचनेवाले की जो बिस्कुट बेचकर अपना जीवन यापन करता था. मध्य प्रदेश के छोटे से गाँव में एक छोटा सा परिवार रहता था. परिवार में कमानेवाला एक आदमी और वो परिवार के चार लोगों की जरूरतें पूरी करता था. परिवार में माँ, एक भाई , एक लड़का और एक लड़की थी. वो उनकी हर जरूरतों की पूर्ति करता था. सुभम सुबह उठाकर मार्किट जाता और सस्ते में होलसेल दुकान से Biscuit लाता और सुबह में ही उसे बेचने चल जाता. ये काम करते करते लगभग १ साल बिट गए. बच्चों की पड़ी में खर्चे और परिवार को सही से चलाना बहुत ही डिफिकल्ट हो गया था. सुभम ने एक दिन सोचा क्यों न मै खुद का अपना बिज़नेस सुरु करूँ.
Biscuit का बिज़नेस शुरू करने का आईडिया
सुभम ने ये बात अपने परिवारवालों से कहा तो परिवारवालों ने बोला की इतने पैसे कहाँ से आयेंगे. तुम तो जो कमाते हो उसमे सही ढंग से परिवार भी नहीं चल पाता. दुसरे से उधार भी लेना पड़ जाता है. सुभम ने बोला ठीक है जब पैसे अपने पास आ जायेंगे तब Business अपना सुरु करेंगे.
ये कहके सुभम और भी मेहनत से काम करने लगता है. कम करते करते वो जहाँ से सस्ते रेट में Biscuit खरीद के लाता उनसे बिस्कुट बनाने से जुडी जानकारियां भी लेता रहता. सुभम ने एक दिन सोचा क्यों ना मै भी बिस्कुट बनाने का कोसिस करूँ. सुभम ने अपनी बेटी और परिवार के साथ बिस्कुट जैसा ही एक थोडा अलग किसम का Biscuit तैयार किया.
उस Biscuit का सुरुवात में १० पैकेट बना के उसने उसी होलसेल वाली दुकान को दिया और बोला ये देखो मार्किट में नया आया है हमारे इधर खूब चल रहा है. उसी टाइम उस दुकानदार ने उससे एक पैकेट माँगा और बोला ठीक है दो मई पहले चेक करूँ कैसा लग रहा है इसका टेस्ट. उसने बिस्कुट खाया और उसके सरे बिस्कुट के पैकेट ले लिए. दुसरे दिन सुभम उस शॉप पे जाता है बिस्कुट लेने तो दुकानदार बोला भाई मुझे कल जो तुमने १० पैकेट दिए थे वैसे है सैकड़ों बिस्कुट चाहिए.
लोग काफी पसंद कर रहे हैं. बताओ तुमने कहा से लाया ये बिस्कुट मैंने चेक किया मार्किट में ऐसा कोई बिस्कुट ही नहीं है. तब सुभम बोला कोई बात नहीं तुमको कितने रेट तक चाहिए बताओ मई लेक दूंगा. मेरा भी कुछ कमिसन हो जायेगा. तो उसने बोला ठीक है मुझे १०० पैकेट ५०० रूपए में चाहिए दे सकते हो.
नयी सोच के साथ सुरुवात
सुभम ने बोला ठीक है मै तुम्हे ४०० रूपए में १०० पैकेट दूंगा. ये सुनके दुकानदार बोला तुम्हे क्या फायदा होगा. इसमे कोई डिटेल्स भी नहीं है कोई ब्रांड नहीं है. अगर प्राइस और ब्रांड के साथ रहेगा तो मई तुम्हे और भी अच्छी कीमत दे सकता हूँ. क्योकि ये बिस्कुट बहुत ही अच्छा टेस्टी वाला है. उसने ४०० पैकेट का आर्डर ले लिया.
उसने घर पे जेक जब बताया की उन लोगो के द्वारा बनाया गया Biscuit लोगो को काफी पसंद आया और दुकान से और भी ४०० पैकेट के आर्डर मिल गए. ये बात सुनके घरवालों के चेहरे पे और भी मुस्कान आ गयी. उसने वो रदर एक दिन में ही पूरा करके दे दिया. उसके बाद उस दुकानदार ने उस तरह के Biscuit की बहुत खुज की मार्किट में लेकिन वैसा ब्रांड अभी तक मार्किट में था ही नहीं. तब दुसरे दिन जब सुभम दुकान पे पहुंचा तो उसने पुच ही लिया बताओ तुम कहा से ये Biscuit लेट हो मुझे हजारों में चाहिए .
तब जके सुब्हम ने बोला ये बिस्कुट मेरा ब्रांड है हम लोगों ने बनाया है. तबै उस दुकानदार ने बोला ये तो बहुत अच्छी बात है. तुम्हे पाता भी नहीं होगा तुमने कितना टेस्टी बिस्कुट बनाया है. लोग इसके दीवाने हो गए है. मार्किट में बहुत मांग हो गयी है मुझे बहुत से रिटेलर से कॉल आ रहे हैं उनको हाजों पैकेट चाहिए. लेकिन तुम इसको एक नया अपना ब्रांड दो और अच्छे से पैक करो मैं तुम्हारी मदद करूँगा. पैसे चाहिए तो भी दूंगा. बाद में दे देना. ये सुनके सुभम के आँखों में अंशु आ गए. उसे यकीं नहीं आ रहा था की उनके लोगों द्वारा बनाया गे अबिस्कुत लोगों को इतना पसंद आएगा.
मेहनत का फल
सुभम ने उस दुकानदार से कुछ पैसे लेके अपनी खुद की छोटी सी कंपनी खोल दी. उसकी मेहनत ने उसकी Biscuit कंपनी को इतना आगे बड़ा दिया की कुछ ही वर्षों में उसका ब्रांड टॉप ब्रांड में गिना जाने लगा. उसका परिवार भी हंशी ख़ुशी जीवन यापन करने लगा. कहते हैं न सच्चे दिल और कड़ी मेहनत की जाये तो कुछ भी संभव है. मुझे आसा है इस कहानी से अच्छी सिख मिली होगी. ऐसे ही शिक्षाप्रद और motivational कहानियिओं को read करने के लिए हमारे दुसरे पोस्ट पड़ सकते हैं जहाँ से एक नयी सिख मिल सकती है जीवन में आगे बडने में.